कहा आरक्षण में अल्पसंख्यक एवं सामान्य वर्ग की हुई है घोर उपेक्षा
गिरिडीह:- झारखण्ड सरकार ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा अबुआ आवास योजना में लाभुकों का जातिगत आरक्षण के आधार पर किया गया निर्धारण अल्पसंख्यक एवं सामान्य वर्ग के लोगों के साथ एक तरह से अन्याय है। इस निर्धारण में सरकार ने अल्पसंख्यक एवं सामान्य वर्ग की घोर उपेक्षा की है। इससे अल्पसंख्यकों एवं सामान्य वर्ग में सरकार के प्रति निराशा एवं असंतुष्टि बढ़ेगी इसलिए सरकार को इस पर पुनः विचार करना चाहिए।
उक्त बातें गाण्डेय प्रखण्ड के ग्राम पंचायत बड़की टांड़ मुखिया प्रतिनिधि परवेज़ आलम ने कही। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24, 2024-25 एवं 2025-26 के लिए लाभुकों को दिए जाने वाले कुल अबुआ आवास के लक्ष्य को झारखण्ड सरकार ग्रामीण विकास विभाग ने जातिगत आरक्षण के आधार पर वर्गीकृत किया है।
वर्गीकरण के अनुसार जिले को वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 17860, 2024-25 में कुल 31255 एवं 2025-26 में कुल 22325 अबुआ आवास का लक्ष्य मिला है। जिसमें एसटी, एससी को 50 %, अल्पसंख्यक को 10%, ओबीसी को 35% एवं सामान्य वर्ग को 5% अबुआ आवास दिए जाने का लक्ष्य है।
इस हिसाब से वित्तीय वर्ष 2023-24 में अल्पसंख्यक को 1786, सामान्य वर्ग को 893, 2024-25 में अल्पसंख्यक को 3126 एवं सामान्य वर्ग को 1563 एवं 2025-26 में अल्पसंख्यक को 2233 एवं सामान्य वर्ग को 1116 अबुआ आवास दिया जाना है।
कहा कि एक इस आरक्षण के अनुसार एक वित्तीय वर्ष में पंचायत स्तर पर प्रति पंचायत अल्पसंख्यक वर्ग को मात्र 8 से 10 एवं सामान्य वर्ग को केवल 4 से 5 अबुआ आवास ही दिए जा सकेंगे। आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम को ही अगर देखा जाए तो लगभग सभी पंचायतों में अबुआ आवास के लिए प्रति शिविर 1000 के आस-पास आवेदन जमा हो रहे हैं जिनमें लगभग 500 आवेदन अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग के हैं। ऐसे में आने वाले समय में पंचायत वासियों में जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध निराशा और असंतुष्टि बढ़ने की प्रबल संभावना है। यहां एक बात और भी है कि कई पंचायतों में अल्पसंख्यक एवं सामान्य वर्ग की बहूलता है वहां पर अबुआ आवास का लाभ किस प्रकार लोगों को दिया जाएगा।
कहा कि झारखंड राज्य ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा अबुआ आवास योजना में किया गया जातिगत आरक्षण अल्पसंख्यक एवं सामान्य वर्ग के आशाओं के प्रतिकूल है। कहा कि पंचायत विशेष में जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का निर्धारण किया जाना चाहिए साथ ही राज्य सरकार को अल्पसंख्यक एवं सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण के प्रतिशत को भी बढ़ा कर कम-से-कम 20 और 10 करना चाहिए।